कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग (Contract Farming) का आधुनिक परिपेक्षय
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक किसान एक कम्पनी या उसके साथी किसानों के साथ समझौता करता है कि वह उपज की एक निश्चित मात्रा को उस कम्पनी को बेचेगा। इस प्रकार, किसान को अपनी फसल की सुरक्षा और उसकी बिक्री का निश्चित आकंडित भाव मिल जाता है, जिससे उसे अपने फसल के बिक्री की चिंता नहीं होती है।
फायदे | हानि |
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किसान को निश्चित मूल्य मिलता है। | किसान निश्चित मूल्य के बदले में अपनी उपज के प्रति अपनी लिमिटेड वाणिज्यिक स्किल की वजह से ज्यादा दर पर फसल नहीं बेच सकते। |
किसान को विशेषज्ञ सलाहकारों की सेवाएं मिलती हैं। | फसल की उपज के लिए नियत पीढ़ियों के लिए किसान नई बीज, ड्रग और खाद प्राप्त नहीं कर सकता और उसे नए उपकरण भी नहीं प्राप्त होंगे। |
किसानों को उचित वित्तीय सहायता दी जा सकती है। | किसान को धान की जमीन देने के बाद या धान उगाने के बाद, यदि कम्पनी या साथी किसान अचानक उसके साथ मित्रता नहीं रखते हैं, तो किसान उस जमीन को बार बार खो सकता है और उसका उद्यम नुकसानप्राप्त हो सकता है। |
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के माध्यम से किसानों को अपने निवेशों पर अच्छी लाभ मिल सकता है और उन्हें बेहतर तकनीकी ज्ञान और समर्थन भी प्राप्त होती है। इसके अलावा, उन्हें फसल की सुरक्षा के साथ-साथ फसल की बेहतरीन मार्गदर्शिका भी मिलती है।
केस स्टडी
एक अध्ययन के अनुसार, भारत में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की प्रवृत्ति में तेजी आ रही है। इसमें प्राथमिक रूप से अनाज, फल और सब्जियों पर ध्यान दिया जा रहा है। उपज की सुरक्षा व बेहतर मुआवजे के लिए कोई न कोई नया किसान इसमें शामिल हो रहा है।
इस तरह, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का प्रावधान किसानों को फिर से खेती की ओर आकर्षित कर रहा है।
डाल और पेड़-पौधे के लिए कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग
एक अध्ययन के अनुसार, भारत में छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, बिहार आदि राज्यों में मुख्य रूप से अनाज और खाद्य फसलों के साथ-साथ डाल और पेड़-पौधों के लिए भी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की प्रवृत्ति देखने को मिल रही है। किसानों को इसमें उचित मूल्य, सुरक्षा और समर्थन मिल रहा है, जिससे उन्हें नई रोटी सुरक्षा की दिशा मिल रही है।
इस रिपोर्ट का अंश उद्धरण करते हुए स्पष्ट करते हैं कि “किसान केंद्रित मार्गदर्शक किस्म की उपजों के लिए तात्कालीन बाजार की तुलना में, दूरसंचार से बेहतर उपलब्ध हैं। किसी व्यापार समूह या व्यक्ति के साथ भूमि संपादित करने के परंपरागत विचरण “).
अनुबंधित कृषि: 10 प्रसिद्ध कानूनी प्रश्न और उत्तर
कानूनी सवाल | जवाब |
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क्या कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग क्या है? | कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसान और खरीदार बीच में एक समझौता करते हैं जिसमें खेती के लिए मानकीय दर और अन्य शर्तें सम्मिलित होती हैं। इससे किसान को अच्छी मूल्य मिलती है और खरीदार को नियमित आपूर्ति। |
क्या कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कानूनी है? | हाँ, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कानूनी है। भारतीय कृषि संस्थान और शेष किसान किसान जोड़ कार्यक्रम (ACPMC) अधिनियम, 2003 के तहत कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की विशेष धारा 34 (ए) में इसकी प्रक्रिया और शर्तें निर्धारित की गई है। |
क्या किसान को नुकसान हो सकता है? | किसान को किसी भी प्रकार का नुकसान हो सकता है अगर समझौते में स्पष्टता नहीं है, या अगर खरीदार ने अपनी वादित शर्तों पर खरा किया। |
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए कृषि भूमि की आवश्यकता है? | हाँ, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए कृषि भूमि की आवश्यकता होती है। समझौते में कृषि भूमि की स्पष्ट किस्म, समय और उपयोग विधि का उल्लेख होता है। |
क्या किसान को सहायता प्राप्त होती है? | हाँ, किसान को समय समय पर आवश्यक सलाह, गाइडेंस और वित्तीय सहायता प्राप्त होती है। इसके लिए समझौते में खरीदार की जिम्मेदारी होती है। |
क्या कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में कृषि उपकरण सहित होती है? | हाँ, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में कृषि उपकरण और प्रौद्योगिकी सम्मिलित होती है जिसमें उनकी उपयोगिता, समय और उपयोग की शर्तें समझौते में निर्धारित की जाती है। |
क्या किसान को अपनी फसल का मूल्य सामझौता के अनुसार मिलेगा? | हाँ, किसान को वादित मूल्य सामझौता के अनुसार मिलेगा। समझौते में फसल की मानकीय दर, मूल्य विचार, और भुगतान की अंतिम तारीख शामिल होती है। |
क्या किसान को नियमित भुगतान मिलता है? | हाँ, किसान को समय समय पर नियमित भुगतान मिलता है जो समझौते में निर्धारित होता है। इससे किसान की आर्थिक स्थिति मज़बूत रहती है। |